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कन्या वामा जननी

अरुण कुमार मित्र

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2001
पृष्ठ :335
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 3117
आईएसबीएन :81-7119-659-4

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महिलाओं के शरीर से जुड़े तमाम वैज्ञानिक तथ्यों की जानकारी देती महत्वपूर्ण पुस्तक...

Kanya Vama Janni

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

स्वाधीनता के बाद से ही हमारे देश के आर्थिक एवं सामाजिक ढाँचे में व्यापक परिवर्तन हुआ है। स्त्री शिक्षा का प्रसार एवं स्वाधीनता अब विलास की वस्तु नहीं है वरन् जीवन के अपरिहार्य अंग बन गये हैं। स्त्री की भूमिका अब सिर्फ माँ, पत्नी या बेटी के रूप में घर तक सीमित नहीं है, बल्कि रोजगार के क्षेत्र में भी अब वे समान रूप से आगे आ रही हैं। और इस परिवर्तन माहौल में महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। लेकिन उच्च शिक्षित या पढ़ी-लिखी महिलाओं में भी अपने शरीर और स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा जागरुक नहीं है।
जन्म से शारीरिक लक्षणों में भिन्नता, किशोरावस्था में प्रवेश, यौवनप्राप्ति, विवाह, मातृत्व, शिशुपालन, प्रौढ़ावस्था में प्रवेश, रजोनिवृत्ति एवं प्रजनन क्षमता की परिसमाप्ति-नारी जीवन की इन सभी अवस्थाओं पर विस्तृत जानकारी देने वाली संग्रहणीय पुस्तक है। कन्या वामा जननी !
अपने पेशेवर जीवन में डॉ. मित्र ने इस तरह के स्वास्थ्य के प्रति औरतों को भी लापरवाह पाया है। इसके साथ-ही साथ उन्होंने यह भी देखा कि कुछ महिलाओं में अपने शरीर से जुड़े तमाम वैज्ञानिक तथ्यों को जानने में काफी दिलचस्पी है, और इन्हीं महिलाओं के लिए लिखी गई यह महत्वपूर्ण पुस्तक है।


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